भव्य निराला प्रेम | By Lalit Bhardwaj
द्वारका में रखा सुदामा ने पहला कदम
उसी पल हो गई आँखें कान्हा की नम
द्वारका में रखा सुदामा ने.............
कैसे दौड़े कन्हैया कुछ कहा नहीं जाए
बिना मिले मेरे श्याम से अब रहा नहीं जाए
कान्हा को देख सुदामा भी भूल गए ग़म
उसी पल हो गई आँखें कान्हा की नम
द्वारका में रखा सुदामा ने.............
अपने हाथों से कान्हा छप्पन भोग खिलाये
सब रानिया सेवा में मिलके चंवर डुलाये
सेवा मैं जितनी करूँ आज उतनी है कम
उसी पल हो गई आँखें कान्हा की नम
द्वारका में रखा सुदामा ने.............
भोला भाला सुदामा अपनी पोटली छुपाये
अन्तर्यामी मेरे श्याम से वो छुप नहीं पाए
मेरे रहते प्यारे सहे तुमने कितने सितम
उसी पल हो गई आँखें कान्हा की नम
द्वारका में रखा सुदामा ने.............
ऐसा भव्य निराला प्रेम आँखें भर आये
इससे आगे कुछ ललित से कहां नहीं जाए
जग से न्यारा है ऐसा है ये प्रेम मिलन
उसी पल हो गई आँखें कान्हा की नम
द्वारका में रखा सुदामा ने.............
Bhavya Nirala Prem | By Lalit Bhardwaj
Dwarka Mein Rakha Sudama Ne Pehla Kadam
Usi Pal Ho Gayi Aankhein Kanha Ki Nam
Kaise Duade Kanhaiya Kuch Kaha Na Jaye
Bina Mile Mere Shyam Se Ab Raha Nahi Jaye
Kanha Ko Dekh Sudama Bhi Bhool Gaye Gam
Usi Pal Ho Gayi Aankhein Kanha Ki Nam
Dwarka Mein Rakha Sudama Ne………….
Apne Haathon Se Kanha Chhappan Bhog Khilaye
Sab Raniya Sewa Mein Milke Chanwar Dulaye
Sewa Main Jitni Karu Aaj Utni Hai Kam
Usi Pal Ho Gayi Aankhein Kanha Ki Nam
Dwarka Mein Rakha Sudama Ne………….
Bhola Bhaala Sudama Apni Potli Chhupaye
Antaryami Mere Shyam Se Jo Chhup Nahi Paye
Mere Rehte Pyare Sahe Tumne Kitne Sitam
Usi Pal Ho Gayi Aankhein Kanha Ki Nam
Dwarka Mein Rakha Sudama Ne………….
Aisa Bhavya Nirala Prem Aankhen Bhar Aaye
Isse Aage Kuch Lalit Se Kaha Nahi Jaye
Jag Se Nyara Hai Aisa Hai Ye Prem Milan
Usi Pal Ho Gayi Aankhein Kanha Ki Nam
Dwarka Mein Rakha Sudama Ne………….