जैसे जैसे दर पे तेरे झुकता चला गया | By Mukesh Bagda
जैसे जैसे दर पे तेरे झुकता चला गया
वैसे वैसे मैं तो ऊँचा उठता चला गया
ओ सांवरे, ओ सांवरे.......
ओ सांवरे, ओ सांवरे.......
देर से समझा तुझे ये भूल मेरी है
सांवरे माथे पे अब तो धूळ तेरी है
जैसे जैसे भजनो में मैं रमता चला गया
वैसे वैसे मैं तो ऊँचा उठता चला गया
ओ सांवरे, ओ सांवरे.......
ओ सांवरे, ओ सांवरे.......
मान लू कैसे तुझे परवाह नहीं मेरी
इतना दिया तूने मुझे ये है दया तेरी
जैसे जैसे हारे के संग चलता चला गया
वैसे वैसे मैं तो ऊँचा उठता चला गया
ओ सांवरे, ओ सांवरे.......
ओ सांवरे, ओ सांवरे.......
हर मुसीबत में तुझे हाज़िर सदा पाया
हर ख़ुशी में हर्ष ने शामिल सदा पाया
जैसे जैसे श्री चरणों में गिरता चला गया
वैसे वैसे मैं तो ऊँचा उठता चला गया
ओ सांवरे, ओ सांवरे.......
ओ सांवरे, ओ सांवरे.......
Jaise Jaise Dar Pe Tere Jhukta Chala Gaya | By Mukesh Bagda
Jaise Jaise Dar Pe Tere Jhukta Chala Gaya
Waise Waise Main To Uncha Uthta Chala Gaya
O Sanwre, O Sanwre……..
O Sanwre, O Sanwre……..
Der Se Samjha Tujhe Ye Bhool Meri Hai
Sanwre Mathe Pe Ab To Dhool Teri Hai
Jaise Jaise Bhajno Mein Main Ramta Chala Gaya
Waise Waise Main To Uncha Uthta Chala Gaya
O Sanwre, O Sanwre……..
O Sanwre, O Sanwre……..
Maan Lu Kaise Tujhe Parvaah Nahi Meri
Itna Diya Tune Mujhe Ye Hai Daya Teri
Jaise Jaise Haare Ke Sang Chalta Chala Gaya
Waise Waise Main To Uncha Uthta Chala Gaya
O Sanwre, O Sanwre……..
O Sanwre, O Sanwre……..
Har Musibat Mien Tujhe Haazir Sada Paya
Har Khushi Mein Harsh Ne Shaamil Sada Paya
Jaise Jaise Shri Charno Mein Girta Chala Gaya