बचपन | by Raj Pareek
बचपन से सुना हमने मालिक तू हमारा है
घर पे आई मुसीबत तो दिया तूने सहारा है
लोरियों की जगह हम श्याम तेरे भजनो को सुनते थे
सुनकर तेरे पर्चों को सपने यही बुनते थे
हमको उबारोगे जैसे सबको उबारा है
घर पे आई मुसीबत तो दिया तूने सहारा है
बचपन से सुना हमने.............
तूफां जो नहीं आता हम खुद ही संभल जाते
हारे के सहारे हो कैसे हम समझ पाते
डोली जब नाव मेरी बन के आया किनारा है
घर पे आई मुसीबत तो दिया तूने सहारा है
बचपन से सुना हमने.............
तुम हो या नहीं ये भी कहते हुए देखा है
तुम्हे भक्तों की आँखों से बहते हुए देखा है
जीत बनकर के आया तू जब भी राज हरा है
घर पे आई मुसीबत तो दिया तूने सहारा है
बचपन से सुना हमने.............
Bachpan | by Raj Pareek
Bachpan Se Suna Humne Maalik Tu Hamara Hai
Ghar Pe Aayi Musibat To Diya Tune Sahara Hai
Loriyon Ka Jagah Hum Shyam Tere Bhajno Ko Sunte The
Sunkar Ke Tere Parchon Ko Sapne Yahi Bunte The
Humko Bhi Ubaaroge Jaise Sabko Ubaara Hai
Ghar Pe Aayi Musibat To Diya Tune Sahara Hai
Bachpan Se Suna Humne…………..
Toofan Jo Nahi Aata Hum Khud Hi Sambhal Jaate
Haare Ke Sahare Ho kaise Hum Samajh Paate
Doli Jab Naav Meri Banke Aaya Kinara Hai
Ghar Pe Aayi Musibat To Diya Tune Sahara Hai
Bachpan Se Suna Humne…………..
Tum Ho Nahi Ye Bhi Kehte Hue Dekha Hai
Tumhe Bhakton Ki Aankhon Se Behte Hue Dekha Hai
Jeet Bankar Ke Aaya Tu Jab Bhi Raj Haara Hai
Ghar Pe Aayi Musibat To Diya Tune Sahara Hai
Bachpan Se Suna Humne…………..