भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अंबे | By Tarun Saman |
भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अंबे,
हो रही जय जयकार, मंदिर विच आरती जय माँ,
हे पहाड़ों वाली आरती जय माँ।
कहें दी मैया तेरी आरती बनावा,
कहें दी पावन विच बाती,
मंदिर विच आरती जय माँ,
हे पहाड़ों वाली आरती जय माँ।
सर्व सोने दी तेरी आरती बनावा,
अगर कपूर पावन बाती,
मंदिर विच आरती जय माँ,
मैया लाटोवाली आरती जय माँ।
कौन सुहागन दीवा बलैया मेरी मैया,
कौन जागेगा सारी रात,
मंदिर विच आरती जय माँ,
हे पहाड़ों वाली आरती जय माँ।
सर्व सुहागिन दीवा बलैया मेरी मैया,
जोत जगेगी सारी रात,
मंदिर विच आरती जय माँ,
हे माँ दुर्गा रानी आरती जय माँ।
भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अंबे,
हो रही जय जयकार, मंदिर विच आरती जय माँ,
हे पहाड़ों वाली आरती जय माँ।
जुग जुग जीवे तेरा जम्मू का राजा,
जिसने तेरा भवन बनाया,
मंदिर विच आरती जय माँ,
हे पहाड़ों वाली आरती जय माँ।
भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अंबे,
हो रही जय जयकार, मंदिर विच आरती जय माँ,
हे पहाड़ों वाली आरती जय माँ।
सिमर चरण तेरा ध्यानु यश गावे,
जो ध्यावे सो यो फल पावे,
रख बनै दी लाज,
मंदिर विच आरती जय माँ,
सचिया जोतावाली आरती जय माँ।
भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अंबे,
हो रही जय जयकार, मंदिर विच आरती जय माँ,
हे पहाड़ों वाली आरती जय माँ।
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